हमारे पालतू जानवर ऑक्सीटोसिन निर्मित प्यार के कारण हमारे दिल में अपना खास स्थान रखते हैं। हर दिन हम उनकी मासूमियत को निहारते हैं और वे भी हमें अपना समझते हैं। धीरे-धीरे हम एक दूसरे के साथ एक भावनात्मक रिश्ते में बंध जाते हैं और हमलोग उनकी ज्यादा परवाह करने लगते हैं। यह बंधन पालतू जानवरों के साथ हमारे मानव निर्मित वातावरण में अपने सह-अस्तित्व का प्रतीक है।
हमने अपने पालतू जानवरों को एक व्यक्ति की तरह नाम दिए हैं। इसलिए स्वभाविक रूप से प्रत्येक पालतू जानवर का एक व्यक्तिगत नाम होता है। और जैसा कि हमारे पालतू जानवर परिवार के सदस्य हैं इसलिए वे भोजन से लेकर बाहर घूमने-फिरने जैसी हर जरूरी चीजों के लिए पूरी तरह से हम पर निर्भर होते हैं। स्पष्ट रूप से यह एक अपराधिक मामला माना जाएगा यदि कोई मनुष्य उन्हें मारने का प्रयास करे या तो उन्हें मारने की अनुमति दे।
यदि हम एनिमल फूड इंडस्ट्री की बात करें तो दिन-प्रतिदिन इसकी मांगे बढ़ती जा रही है। ये मूलतः मानव प्रवृत्तियों के अनुसार चलते हैं जिसके कारण ज्यादातर मांस आधारित फूड प्रोडक्ट पालतू जानवरों के लिए मार्केट में उपलब्ध हैं।
एक पशु-प्रेमी होने के नाते हम पालतू जानवरों के भोजन और देखभाल के खर्चों पर खर्च की गई हमारी मेहनत की कमाई - अर्थशास्त्र की भाषा में कहें तो एक मांग में बदल जाती है जो pet एनिमल इंडस्ट्री की स्थिरता को सुनिश्चित करता है। इसके साथ यह एनिमल फूड सोर्सिंग आदि की पारदर्शिता को भी सुनिश्चित करता है। बात यहाँ आती है कि हम आपको ये क्यों बता रहें है?
इसका उद्देश्य यह है कि मेरे सहित ढेर सारे और भी एनिमल राइट एक्टिविस्ट हैं जो प्रजातिवाद को रोकने के लिए प्रयास कर रहे हैं उसमें पहला कदम यह है कि आमलोगों को अप्रत्यक्ष रूप से पशु हत्या की फंडिग को रोकने के लिए शिक्षित करना है।
क्या आपने कभी सोचा है कि एनिमल फूड इंडस्ट्री के लिए कितने जानवरों को मार दिया जाता है? आमतौर पर वे मारे गए जानवर भी एक ही जनजाति के सदस्य होते हैं।
यहाँ सबसे बड़ी विचार करने वाली बात यह है कि खुद को पशु प्रेमी कहने वाले लोग परोक्ष रूप से - एक को खिलाने और दूसरे को मारने के लिए पैसे देने को उचित नहीं ठहरा सकते।
इसलिए हम सभी के लिए वीगन एनिमल फूड प्रोडक्ट का उपयोग करना और दूसरों को भी इसके बारे में बताना एक आवश्यक पहल होगी। वीगनिजम के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया इंटरनेट पर वीगन वीडियो देखें और veganmumbai.com पर विजिट करें!
यह लेख @veganmumbai के संस्थापक प्रो. सुदेश कुमार द्वारा लिखा गया है।